क्रिएटिव स्कूल के प्रिंसिपल को राज्य सरकार का एक पत्र मिला। पत्र में लिखा था- उनके स्कूल में अध्ययनरत छात्र रवि वर्मा ने सरकार द्वारा आयोजित सामान्य ज्ञान की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। अत: सरकार ने रवि वर्मा को दो वर्ष के लिए छह हज़ार छात्रवृत्ति मंजूर कर उसे गणतंत्र दिवस पर सम्मानित करने का निर्णय किया है।
प्रिंसिपल ने स्टाफ मीटिंग बुलाई और स्टाफ को वह पत्र पढ़कर सुनाया।
स्टाफ के सदस्यों ने मेज़ थपथपाई और करतल ध्वनि से अपनी खुशी ज़ाहिर की।
मिस रूबी का प्रस्ताव हुआ कि ऐसे होनहार छात्र को वार्षिकोत्सव में पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाए।
स्टाफ के सभी सदस्यों ने करतल ध्वनि से इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
मिसेज मालती का सुझाव था, ‘‘छात्र के अभिभावक को विद्यालय में बुलाकर यह शुभ समाचार दिया जाए।’’
मालती के सुझाव का भी खुलकर समर्थन हुआ।
प्रिंसिपल ने छात्र के पिता को एक पत्र लिखा, ‘‘आपके पुत्र के बारे में कुछ विचार–विमर्श करना है। आप विद्यालय समय आकर सम्पर्क करें।’’ और पत्र चपरासी के हाथ रवि वर्मा के घर पहुँचा दिया।
दूसरे दिन रवि वर्मा ने अपने पिता का एक पत्र प्रिंसिपल के हाथ थमा दिया। पत्र में लिखा था, ‘‘हम रवि की हरकत के लिए शर्मिंदा हैं। कल रात को उसकी जमकर पिटाई कर दी है। उसने वादा किया है कि वह आगे शिकायत का मौक़ा नहीं देगा। आशा है अब सम्पर्क की आवश्यकता नहीं रह गई है।’’