चंदन जी महाराज रामचरित मानस से शबरी का प्रसंग सुना रहे थे और श्रोता सुन–सुनकर भावविभोर हो रहे थे। विशाल पण्डाल में आत्मीयता और भक्ति का वातावरण पैदा हो गया था। चंदन जी महाराज कह रहे थे–‘‘राम भक्तों,शबरी अपने प्रभु, अपने इष्ट देव श्रीराम जी को अपने सामने पाकर हर्ष के मार गदगद हो गई थी। विस्मय में डूबी वो प्रभुराम जी से कहने लगी–
केहि विधि अस्तुति करौं तुम्हारी, अधम जाति मैं जड़मति मारी
अघम ते अधम अधम अति नारी, तिन्ह महँ मतिमंद अघारी
अर्थात–हे प्रभु, मैं तुम्हारी स्तुति किस भाँति करूँ? तुम्हारा गुणगान कैसे गाऊँ? मैं तो ठहरी छोटी जाति की! हे प्रभु, मैं तो उन नारियों से भी छोटी हूँ जो अधम से अधम हैं।’’
रामभक्तो, श्री राम जी की महिमा के क्या कहने! उनके लिए न कोई छोटा था और न ही कोई बड़ा। सभी समान थे। इसीलिए–
कंद मूल फल सुरस अति राम कहुँ आनि
प्रेम सहित प्रभु खाएं बारम्बार बखानि
अर्थात–श्रीरामजी ने छोटी जाति की शबरी द्वारा अर्पित कंद-मूल और फल बड़ी प्रीति से खाए। इतनी प्रीति से कि खाने भी खाए और बखान भी करते रहे। रामभक्तों, ऐसे थे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी। सब मिलकर बोलो श्री रामचन्द्र जी की जय। विशाल पण्डाल श्री रामचन्द्र जी की जय से गूँज उठा।
जब चंदन जी महाराज का प्रवचन समाप्त हुआ तो एक महिला उने पास गई। हाथ जोड़कर बोली–‘‘महाराज, आप साक्षात श्री राम जी लगते हैं। वैसा ही रंग–रूप । आपसे एक विनती है कि आप मेरे घर पधारने का न्यौता स्वीकार करें।’’ न्यौता पाकर चंदन जी महाराज के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई। एक सुन्दर महिला उन्हें अपने घर में पधारने का न्यौता दे रही थी। मीठी वाणी में बोले–‘‘कहिए देवी जी, कब पधारें हम आपके घर?’’ महिला आह्लादित हो उठी। बोली–‘‘कल ही आ जाइए महाराज। कल नवरात्रि का पहला दिन है। बड़ा शुभ दिन है। आपके चरण पड़ेगे तो मुझ छोटी जाति की औरत का घर पवित्र हो जाएगा।’’ छोटी जाति की औरत? चंदन जी महाराज की मुस्कान लुप्त हो गई। उन्हें लगा कि जैसे जाहिल औरत ने उनके दोनों कानों में गर्म–गर्म पिघला हुआ शीशा डाल दिया था। अपने पर काबू पाकर बोले–‘‘कल तो आना सम्भव नहीं। अगले फेरे में आपके घर को पवित्र करेंगे।
महिला को सान्त्वना हुई कि चलो अगले फेरे में ही सही। चंदन जी महाराज का अगला फेरा तो शहर में कई बार हुआ लेकिन उनके चरणों से महिला का घर पवित्र नहीं हुआ।