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लघुकथाएँ - संचयन - शेफाली पाण्डेय
प्रॉब्लम चाइल्ड

एक सरकारी इंटर कॉलेज का प्रार्थनास्थल. प्रार्थना का समय. पच्चीस अध्यापक एवं लगभग पाँच सौ छात्र एकत्र हैं. सर्वधर्म प्रार्थना के उपरांत राष्ट्रगान शुरू हुआ. कतिपय छात्र हमेशा की तरह देर से आ रहे हैं और राष्ट्रगान सुनकर भी चलना बंद नहीं कर रहे हैं. कुछ अपनी नाक में उंगली डालने में असीम आनंद अनुभव कर रहे हैं. किसी के सिर में ठीक इसी समय खुजली लग रही है.

बच्चों की इन हरकतों से नवनियुक्त प्रधानाचार्य का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया,
"यह क्या हो रहा है? बिना हिले-डुले खड़े नहीं हो सकते हो? इतनी जल्दी राष्ट्रगान ख़त्म कर दिया. हारमोनियम के साथ सुर क्यों नहीं मिलाते हो? जानते हो, यह राष्ट्रगान का अपमान है. इसका अपमान करने पर जेल हो जाती है."

एक वरिष्ठ अध्यापक ने साहब का समर्थन किया,
"साहब ये तो कुत्ते की पूँछ हैं, कितनी भी सीधी करो टेढी ही रहती है. लाख समझाओ पर 'गुजरात' को 'गुज्राष्ट्र' ही कहेंगे, 'बंग' को 'बंगा' ही कहेंगे. हम लोग तो कहते-कहते थक गए हैं, अब आप ही कुछ कीजिए.”

"आप लोग चिंता मत कीजिए. आज पूरा दिन इनको यही अभ्यास करवाया जायेगा. जब तक बिना हिले सही उच्चारण करके नहीं गा लेंगे, घर को नहीं जा पायेंगे", प्रधानाचार्य ने कड़क स्वर में आदेश सुनाया.
कक्षा बारह का एक छात्र उठकर बोला,
"माफ़ कीजिए सर, मेरा एक सुझाव है. यदि आप लोग भी हमारे साथ रोज़ राष्ट्रगान गायेंगे तो हमें जल्दी समझ में आ जाएगा."
" ज़ुबान लड़ाता है कमबख़्त. क्या नाम है तेरा? चल, किनारे जाकर खड़ा हो जा. अभी तुझे ठीक करता हूँ", प्रधानाचार्य को मानो बिच्छू ने डंक मार दिया हो.
दो तीन और वरिष्ठ अध्यापक भी मैदान में आ गए,
"साहब, यह प्रॉब्लम चाइल्ड है. इसने हमारी भी नाक में दम कर रखा है. हमसे कहता है की मेरी कॉपी रोज़ जाँच दिया कीजिए. अरे, हम लोग लेक्चरर लोग हैं, हमारा एक स्टैण्डर्ड है. हम क्या एल. टी. वालों की तरह कॉपिया॥ण जाँचते रहेंगे?"
और कोई दिन होता तो इसी बात पर एल. टी. वालों और लेक्चररों के बीच महाभारत छिड़ जाती, परन्तु आज अद्भुत एकता स्थापित हो गयी. सभी एक स्वर से बोल पड़े,
"हाँ, हाँ, बिल्कुल. टीचरों से राष्ट्रगान गाने के लिए कहता है. सारे स्कूल का अनुशासन बिगाड़कर रख दिया है. इसे आज अच्छा सबक सिखाइए, ताकि आगे से किसी की इतनी हिम्मत न पड़े."

सारा स्टाफ उसे सबक सिखाने में जुट गया.कभी किसी बात पर एकमत न होने वाले गुरुजनों में आज गज़ब की एकता आ गयी थी.

 

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