रितु को अपने भविष्य-फल पर अटूट विश्वास रहता था। पत्र-पत्रिकाओं में भी वह भविष्य-फल ही खोजती रहती। इस बार के अखबार में वर्णित सातों ही दिन विशेष थे, जो सही भी रहे।
रवि को असफल यात्रा : राशन की दुकान अचानक बंद मिलने से,उसकी घर से वहाँ तक की यात्रा असफल ही रही थी।
सोम को दुर्घटना : सफाई करते समय अचानक एक महँगा कप टूट जाना, किसी दुर्घटना से कम नहीं था।
मंगल को विशेष प्रतिष्ठा : पार्टी में, पड़ोसन की कीमती जरीवाली साड़ी पहनकर जाने से, सब पर विशेष रोब तो पड़ा ही था।
बुध को गृह-कलह : महरी ने बिना बात आकस्मिक छुट्टी मना ली.....फलस्वरूप क्रोध उतरा पति पर, और बैठे-बिठाए गृह-कलह हो ही गई।
बृहस्पति को अप्रिय घटना : दूधवाला सुबह-सुबह सबके सामने इज्जत उतार गया था ।पिछला हिसाब चुकता हुए बिना अब दूध नहीं मिलेगा।
शुक्र को शत्रुओं पर विजय : बहुत नुकसान करते रहने वाले....शत्रु....दोनों मोटे चूहे......कल ही तो पिंजरे में फंसे थे, पर आज शनि को ‘आकस्मिक धन-लाभ’ कहाँ से होगा?
कहीं से, किसी भी तरह की, कोई भी तो संभावना नहीं है, पर....जब लिखा है तो मिलेगा ही....इसी सोच में दोपहर भी निकल गई और वह निराश होती जा रही थी.....तब....? अनायास नजरें टिकट पर गई.....वह मुस्कराई, तुरंत टिकट उतार लिए, दो टिकट सीलरहित थे, उसे पूरे एक रुपए का आकस्मिक धन लाभ हुआ था। भविष्य -फल गलत नहीं हो सकता था।
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