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अफ़वाह

पूरे मोहल्ले में यह खबर आग की तरह फैल गई कि पण्डित राघोराम की जवान लड़की गीता को पुलिस पकड़ कर ले गई। लेडी पुलिस जीप ले कर आई थी...।
ख़बर सुनते ही मोहल्ले के लोग बहाने से राघोराम के घर में ताँक–झाँक करने लगे, पर वहाँ से उन्हें कोई भी सुराग नहीं मिल पर रहा था। जवान लड़की के यूँ पकड़े जाने पर जिस हलचल की आशा वे सब कर रहे थे, उसके प्रतिकूल राघोराम के घर में शान्ति छाई हुई थी। जिसके कारण सबको निराश होना पड़ रहा था। उनकी बेशर्मी से सब हैरान थे।
हार कर वे सब अन्नो ताई के पास पहुँचे, क्योंकि अन्नो ताई का कहना था कि सब कुछ उन्होंने अपनी आँखों से देखा है। सारे दिन अन्नो ताई के घर सब का आना–जाना लगा रहा और वे सबकी जिज्ञासा अपने ढंग से शान्त करती रही, ‘‘अरे भैया, ऊ तो कहो कि हम अपनी आँखिन से देख लीहा, नाही तो भला कौनो को पता लगता। अरे हम तो पहिले ही कहित रहै कि ऊ छोरी के लच्छन ठीक नाही....दैखो पूरा मुहल्ला केर नाक काटि लिहन...।’’
पण्डित राघोराम पूरे मोहल्ले में फैल रही चर्चा से निरपेक्ष अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहे। जब भी वे बाहर निकलते, मोहल्ले वाले छिप–छिप कर उनकी ओर देखते और कानारफूसी करते। पर वाह रे बेशर्मी, उन्हें रत्ती भर भी परवाह नहीं हुई। अब ऐसे में साफ़ बात कह कर सीधा झगड़ा कौन मोल ले।
इस काण्ड से किसी को लाभ हुआ हो चाहे नहीं, पर राधा देवी को जरूर हुआ। कितनी बार राघोराम की घरवाली ने उसकी लड़की की बात को लेकर उसे नीचा दिखाया है, अब वह जमकर बदला लेगी। उसने बात को और बढ़ा–चढ़ा कर फैलना शुरू कर दिया। उसने किसी तरह यह सुराग भी लगा लिया कि गीता आज पाँच दिनों बाद वापस आ रही है। यह पता लगते ही सब अपने–अपने घरों के दरवाजे पर खड़े हो गए।
थोड़ी देर बाद एक जीप पण्डित राघोराम के दरवाजे पर आकर रुकी। उस पर से हँसती हुई गीता उतरी तो सबके मुँह लटक गए। जीप में एन.सी.सी की वर्दियाँ पहने लड़कियाँ बैठी थी, जो चार दिनों का कैम्प लगाने के बाद वापस लौटी थी। उनकी वर्दी के कारण ही अन्नो ताई ने उन्हें पुलिस समझ लिया था।
जीप धूल उड़ाती चली गई तो मोहल्ले वाले अन्नो ताई को कोसते हुए अपने–अपने घरों के दरवाजे बंद करने लगे।

 
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