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ताड़ वृ़क्ष की छाया

हर काम समय से करने के पाबंद दोनों कांवेंटी बच्चे अभी भी जाग रहे थे। मिकी ने वाल–क्लॉक में पौने ग्यारह बजते हुए देखे तो कह उठा, ‘‘बेबी, मम्मी....नाट कम...सो फार!’
‘‘मिकी, लैट मी स्लीप!’’
‘‘बेबी, ये कॉट रेड हैंडिड क्या है? वो सामने वाली कोठी में मेरा क्लास मेट अनु कह रहा था, हमारे पापा किसी से दस हजार रुपया ले रहे थे, आई मीन टेन थाउजेंड रूपीज?’’
‘‘अरे, पापा का कुछ नहीं होगा। मम्मी इसीलिए स्टेनो अंकल के साथ अपने ब्रदर के यहाँ गई हैं। अंकल स्पेशल सैक्रेटरी हैं। मम्मी कहती है कि मिनिस्टर उनकी हर बात मानते हैं।’’
पर तुमने नहीं सुना, स्टेनो अंकल कह रहे थे, ‘‘मेम साहब, केस सीरियस है, खुद जाल बिछवाकर पकड़वाया है।’’
तभी कार के हार्न की आवाज सुनाई दी। दोनों बच्चे फुदककर उठ खड़े हुए और कारिडोर में आकर नीचे झांकने लगे। मम्मी के पास पापा और स्टेनो अंकल खड़े थे। मम्मी जोर–जोर से कह रही थी, ‘‘तुम्हें उस मिनिस्टर से उलझने की जरूरत क्या थी? यू डोंट नो, वो कॉण्टे्रक्टर मिनिस्टर का आदमी हैं। एट लास्ट टेंडर उसी को तो मिला। उसके थ्रू काम हो रहा था तो क्या तुम्हें नहीं मिलता कुछ? अगर मेरे ब्रदर बीच में नहीं पड़ते....तो वह मिनिस्टर का बच्चा कब मानने वाला था। तुम्हारा ये एज–पर–ला हम सबको ले डूबेगा।’’
‘‘मेम सा’ब!’’ स्टेनो ने संकेत किया तो मम्मी–पापा ने ऊपर बच्चों की ओर देखा। पापा अपमानित ढंग से मुस्करा उठे और बच्चों को टा–टा किया। मम्मी लगभग चीखती हुई बोली, ‘‘मिकी–बैली तुम लोग अभी जाग रहे हो, डैमफूल! गो–इन–बैड!’’
दोनों बच्चे चुपचाप बिस्तरे की ओर बढ़े, मायूस कदम लिए। उन्होंने पापा के चेहरे पर ऐसी अपमानित मुस्कराहट पहली बार देखी थी, तिस पर उनका बेवजह टा–टा करने का आखिर क्या मतलब था?

 
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