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धुएँ का ताजमहल

आशीर्वाद देते वक्त एकाबारगी उसका हाथ काँप गया था। सफेद पोशाक में सजी लड़की घुटी हुई रुलाई में सिर्फ़ ‘पापा–पापा’ ही बुदबुदा पाई कि वह तेजी से लौट पड़ा, कहीं पास बैठे दूल्हा को शक न हो जाए। उसने आधी बची हुई अंग्रेजी शराब की बोतल खोली और पीट पैग चढ़ा गया और इत्मीनान से सिगरेट होठों से लगाकर बेपरवाह अंदाज में पैंट की जेबों पर हाथ मारने लगा।
‘‘मिस्टर डेनियल, आप अँधेरे में बैठे हैं?’’
‘‘रोशनी होने पर डेनियल ने पलटकर देखा कि उसकी बेटी का धर्मपिता बिफरे हुए अंदाज में खड़ा था।’’
‘‘मैं आपके दुख को जानता हूँ डेनियाल साहब कि बेबी के असली पिता होते हुए भी एक अजनबी की माफिक आपने गिफ्ट दिया। आपने मेरी इज्जत रख ली।’’
‘‘इज्जत रख ली बच्चे! तूने दोस्ती की पीठ में छुरी भौंक दी, जिस थाली में खाया उसी में छेद।’’ अंत तक उसकी नर्स पत्नी उससे छिपाती रही कि अस्पताल के एकाउंटेंट से उसका कोई ऐसा–वैसा संबंध नहीं है। उसे आज के बाद इस घर में नहीं आना चाहिए।
‘‘तुम ही क्यों नहीं कहते, वह तो तुम्हारा दोस्त है।’’ इस पर वह खून का घूंट पीकर रह गया था। नतीजा निकला डाइवोर्स! फलत: बेबी को मां ले गई और उसका लड़का डेनियल के पास रह गया।
‘‘क्या सोच रहे हैं मिस्टर डेनियल?’’
‘‘मिस्टर मैंथ्यूज, अब वह आपकी बेटी है। मैं आपके बुलावे पर यहाँ नहीं आया। बेबी ने धमकी दी थी कि अगर मैं उसकी शादी में शरीक न हुआ तो वह शादी नहीं करेगी। वैसे भी बच्चे ताजमहल देखने की जिद कर रहे थे.....’’
तभी डेनियल की भूतपूर्व पत्नी आ गई और हड़बड़ाती हुई बोली, ‘‘आप यहाँ क्या कर हैं? वहाँ सब लोग आपको पूछ रहे हैं।’’ और अपने तलाकशुदा पति को सहमे हुए अंदाज में देखने लगी। ‘‘अच्छा डेनियल सा’ब, आयम सारी, आप ताजमहल जरूर देखना, कुछ दिन रुकिए ना!’’
जवाब में डेनियल ने सिगरेट का लंबा–सा कश लिया और मिसेज मैथ्यूज की ओर उछाल दिया। मिसेज मैथ्यूज घबराकर पीछे हट गई, मानो किसी ने उस पर थूक दिया हो, परन्तु डेनियल उस धुंए में अपने ताजमहल को बनते–बिगड़ते देख रहा था।

 
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