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दास साहब और उनका कुत्ता

दोस्तो, आज सुबह–सुबह दास साहब का कुत्ता मर गया। यह खबर आग की तरह कॉलोनी में फैल गई: ‘‘दास साहब का कुत्ता मर गया।’’
आखिर दास साहब एक बड़े सरकारी ओहदे पर थे। वह रोजाना सुबह घूमने जाते थे। उस कुत्ते की वजह से। वह कहा करते, ‘‘इस कुत्ते के बहाने सुबह–सुबह हवाखोरी हो जाती है।’’
जो लोग दास साहब के साथ सुबह की सैर को जाते थे, अब अकेले पड़ गए थे। वे सिर्फ़ दास साहब की वजह से ही घूमने जाते थे। दास साहब अब घूमने नहीं जाते। वह अकेले पड़ गए थे, क्योंकि कुत्ते नहीं है। अगर दास साहब मर जाते तो कुत्ते को कोई न कोई तो घुमाने ले ही जाता। दास साहब के साथ ऐसा नहीं हुआ। सुबह होते ही दास साहब कुत्ते के बारे में सोचने लग जाते। उधर लोग रोज सुबह दास साहब के बारे में सोचते। यह बात तो थी कि उस कुत्ते के रहते लोगों को दास साहब के बारे में इस तरह नहीं सोचना पड़ा था। इसका कारण यह रहा कि जब कुत्ता जिंदा था तो दास साहब रोज लोगों से कुत्ते के बारे में बाते करते। अब कुत्ता नहीं है तो लोगों को दास साहब के बारे में बात करने का मौका मिला है।
लोग दास साहब के बंगले पर जा उन्हें ढाँढ़स बँधा रहे थे, ‘‘कुत्ते के मर जाने से आप खुद को अकेला मत समझो, हम हैं आपके साथ।’’
लेकिन दास साहब एक ही बात कहते कि अब उस कुत्ते की जगह कोई नहीं ले सकता। वह आजकल रोजाना सुबह बागबानी करते हैं। वह घूमने नहीं जाते। अब उन्हें कुत्ते की याद इतनी नहीं आती। उन्होंने अपने आपको व्यस्त कर लिया है।
लेकिन लोगों के साथ ऐसा नहीं हुआ। उस कुत्ते की वजह से बार–बार वे दास साहब के बदल गए जीवन के बारे में बातें करते हैं। मसलन, दास साहब आजकल ज्यादा बात नहीं करते। दास साहब आजकल खूब सिगरेट पीने लगे हैं। कुत्ते का गम उन्हें खा जाएगा। वह कुत्ता उनकी जिंदगी में जहर घोल गया। इधर दास साहब रोज अपनी सरकारी गाड़ी में जाते और नर्सरी से कोई न कोई पौधा ले आते। लोगों को डर लगता कि दास साहब कहीं पागल न हो जाएँ कुत्ते की वजह से।
एक दिन दास साहब गाड़ी में फूलों की जगह एक प्यारा–सा कुत्ता ले आए। लोगों को भनक लगी नहीं कि दौड़ पड़े दास साहब के घर। कौन पहले पहुँचकर दास साहब का ‘थैक्यू’ ले।
लोगों ने कहा, ‘‘अरे दास साहब, यह तो हू–ब–हू वही कुत्ता है। वैसा ही रंग। वैसी ही शक्ल। देखो न, दौड़ता भी वैसा ही हे। दास साहब, आपको कुत्तों की पहचान जबर्दस्त है।’’
दूसरे दिन से दास साहब फिर सुबह घूमने जाने लगे। दास साहब बता रहे थे। कि इस कुत्ते की वजह से सुबह–सुबह हवाखोरी हो जाती है।
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