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दुर्घटना

‘‘भाई साब, भाई साब! लगता है, रमेश का एक्सीडेंट हो गया। बिट्टू कह रहा था कि सब्जी मंडी के चौराहे पर...’’
‘‘रमेश का एक्सीडेंट? क्या कहते हो? अभी तो वह स्कूटर से कनवरीगंज की ओर गया है। चलो देखते हैं, ज्यादा चोट तो नहीं आई?’’
‘‘बिट्टू तो यह कह रहा था कि जीप से टक्कर हुई है। माथे पर चोट....।’’
‘‘अजीब अंधेरगर्दी है। भले आदमी का सड़क पर चलना मुहाल हो गया है। न ट्रैफिक वाले देखते हैं न कोई। ऐसे में कोई मरेगा नहीं तो और क्या होगा। मैं तो कहता हूँ, ये जीप वगैरह रेलवे रोड पर बिल्कुल बंद कर दिए जाएँ।’’
‘‘देखिए भाई साहब। भीड़ अभी तक है। कितना खून गिरा है। राम–राम लेकिन यह स्कूटर तो अपने रमेश का नहीं जान पड़ता।’’
‘‘ओह गॉड।’’ ये घायल ही कौन–सा अपना रमेश है। ये तो कोई और है। मेरा तो दम ही निकल गया था। ये बिट्टू का बच्चा मिला तो....।
‘‘लेकिन भाई साहब। एक्सीडेंट है बहुत जबर्दस्त, लगता है...’’
‘‘एक्सीडेंट नहीं होगा तो क्या होगा। ये आजकल के छोकरे स्कूटर पर बैठकर समझते हैं कि हवाई जहाज में बैठे हैं। साले सार–अस्सी से कम तो दौड़ाते ही नहीं हैं। फिर मरेंगे नहीं तो क्या होगा। अब जीप वाला क्या कर लेगा। आओ चलें, मरने दो साले को।’’

 
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