हठी विक्रमादित्य बेताल को कंधे पर रखकर ले चला। रास्ते में बेताल ने उसे उसे एक कथा सुनाई, जिसका सारांश यह था कि एक गुफा में जाने वालों के पद चिहृ तो दिखाई देते हैं, लौटाने वालों के नहीं।
उसने राजा से पूछा, ‘‘यह किसकी गुफा है? इसका सही उार तुमने न दिया तो तुम्हारे सिर के टुकड़े हो जाएंगे।’’
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