भौं–भौंड भौं भौं भौं.....
‘‘इसे रोको काट खाएगा।’’
‘‘यह काटेगा नहीं, पगला गया है।’’
‘‘क्या मतलब?’’
‘‘फिर?’’
‘‘यह तभी से बार–बार खाली घर का चक्कर काट कर गली में आ जाता है और भौंकता रहता है। न कुछ खाता–पीता है, न इसने किसी को काटा है।’’
‘‘लेकिन पागल कुत्ता तो काटता है लोगों को।’’
‘‘बताया तो वैसा पागल नहीं है यह। सूँघ कर देखता है सबको। सही हत्यारों को ही काटेगा। आदमी थोड़े न है ;जो दंगा छिड़ने पर किसी निरपराध को इसलिए मार दे कि उसका मजहब और है!’’