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लघुकथाएँ - संचयन - हरि मृदुल
बूढ़े शास्त्रीय गायक का गायन
बूढ़े शास्त्रीय गायक ने जो मधुर तान छेड़ी, एक बड़े ऑडिटोरियम में बैठे गिने- चुने श्रोता विह्वल हो उठे। लोगों ने भाव विभोर होकर आँखें बंद कर लीं।
सहसा महसूस हुआ कि गायक तो हिचकी ले‐लेकर रो रहा है।
 
 
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