वह काफ़ी परेशान था... आज एडीशन उसे निकालना था लेकिन उसे नहीं सूझ रहा था कि लीड क्या बनाए.... रूटीन ख़बरों के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं था जो लीड बनती.... वह पसोपेश में बैठा ख़बरों के तार देख रहा था तभी टेलीप्रिंटर पर फ्लैश आया... कानपुर के पास एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतरी... पचास से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका....।
फ्लैश देखते ही उसका चेहरा खिल उठा.. आज की लीड उसे मिल गई थी। अख़बार छूटने ही वाला था कि गाँव से उसे फोन मिला....। फ़ोन सुनते ही उसकी परेशानी बढ़ गई.... उसकी पत्नी और बच्चे उसी ट्रेन से गाँव से छुट्टियाँ बिता कर दिल्ली लौट रहे थे....।
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