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लघुकथाएँ - संचयन - प्रेम जनमेजय
देशभक्ति
देशभक्त पुत्र ने अपने पिता से कहा, पिताजी,मैं आपकी तरह पुलिस में भर्ती हो जाऊँगा, कानून की रक्षा करूँगा।
नहीं हो सकता बेटे, पुलिस में तुम्हें करवाना मेरे लिए बहुत मुश्किल है।
क्यों पिताजी?
दस हजार चाहिए, और अभी तुम्हारी दो बहनों की शादी होनी है।
दस हजार! बड़ा करप्शन है आपके डिपार्टमेंट में। आप मुझे एंटीकरप्शन’ में करवा दें। मैं एक–एक को देख लूँगा। पुत्र ने आक्रोश में कहा।
वहाँ, नौकरी के लिए बेटे, बीस हजार रुपए चाहिए। तू देशभक्ति का ख्याल छोड़ दे तो मैं कोशिश करूँ। पिता ने कहा।
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