जाड़ों की रात थी। तिस पर शाम को बारिश भी हो चुकी थी। गरम कपडों में लैस दो नौजवान रिक्शे पर सवार स्टेशन की तरफ जा रहे थे। उन्हें कोई गाड़ी पकड़नी थी। तभी थोड़ी दूर पर कुछ झोपड़ियाँ दीख पड़ी।
‘‘इन झोपड़ियों में लोग ऐसी भयानक ठंडी रातें कैसे काटते होंगे।’’ एक नौजवान ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा।
‘‘झोपडि़यों में रहने वाले ये गरीब लोग पता नहीं अपने हकों के लिए लड़ना कब सीखेंगे?’’ दूसरे नौजवान के मुँह से निकला।
‘‘मेरा वश चले तो आराम से लिहाफों में घुसे हरामखोर लोगों को इन्हीं झोपड़ियों में डालकर आग लगा दूँ।’’ पहले नौजवान ने आवेश में आकर कहा।
एकाएक दूसरे नौजवान की निगाह अपनी कलाई ड़ी पर पड़ी और चौंककर उसने कहा, ‘‘अरे यार! गाड़ी छूटने में तो सिर्फ़ 15 मिनट रह गए हैं। अरे भाई रिक्शा वाले, जरा तेज करो रिक्शा। गाडी छूट गई तो मुसीबत हो जाएगी।’’
तेज हवा उल्टी दिशा में बह रही थीं ओर रिक्शे को रोक रही थी। रिक्शा वाला कुछ बोला नहीं, पर उसने रिक्शे की गति तेज कर दी। थोड़ी देर बाद नौजवान ने फिर घड़ी देखी और बोला,‘‘अरे यार। गाड़ी छुड़वाओगे क्या? तुम तो चींटी की तरह रेंग रहे हो।’’
‘‘बाबूजी, हवा तेज है। मैं तो पूरी कोशिश कर रहा हूँ ।’’ रिक्शा वाले ने हाँफते हुए कहा। तेज सर्दी में भी वह पसीने से नहाया हुआ था। अब वह सीट परसे उठकर पूरे बदन का बोझ पैंडिलों पर डालकर रिक्शा भगाने की कोशिश कर रहा था।
रिक्शा स्टेशन पहुँचा तो वह बुरी तरह हाँफ रहा था। एक नौजवान ने पास से गुजरते कुली को बुलाकर सामान उसके सिर पर रखवाया और कहा, ‘‘इलाहाबाद वाली गाड़ी में बैठना है।
‘‘वह गाड़ी तो चली गई। अब रात को 2 बजे दूसरी गाड़ी मिलेगी।’’ कुली ने कहा।
‘‘गाड़ी आखिर छुड़वा ही दी तुमने। रिक्शा खींच नहीं सकते तो चलाते क्यों हो? खैर कितने पैसे?’’ एक नौजवान ने नाराज होकर पूछा।
‘‘ पाँच रुपए।’ रिक्शा वाले ने कहा। वह अब भी हाँफ रहा था।
‘‘क्या बात करते हो? दो रुपए होते हैं अली नगर से स्टेशन तक के, तुम तीन ले लो। इससे एक पैसा ज्यादा नहीं मिलेगा।’’ दूसरे नौजवान ने डपट कर कहा।
‘‘बाबूजी, रुपए तो पाँच ही लगेंगे।’’ रिक्शावाले ने दम साधकर कहा।
‘‘रुपए क्या हराम के आते हैं?’’ एक नौजवान ने कहा।
‘‘बाबू साहेब, रिक्शे पर बैठने के पहले ही सोच लेना चाहिए था कि जो पसीना चुआएगा, उसे वाजिब पैसे देने पड़ेंगे।’’
‘‘एक तो साले ने गाड़ी छुड़वा दी, दूसरे पसिंजर को लूट लेना चाहता है।’’ दूसरा नौजवान झल्लाया।
‘‘बाबूजी, जवान सँभाल कर बोलिएगा।’’ रिक्शेवाला गुर्राया।
बात बढ़ गई तो दोनों नौजवान रिक्शवाले पर पिल पड़े और लातों– घूसों से उसका भाड़ा चुकाने लगे।
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