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लघुकथाएँ - संचयन - राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी
अकाल मत

अपने चुनाव–क्षेत्र में विधायक की जीप कीचड़ में फँस गई तो वे चिल्लाकर बोले, ‘‘यह क्या बात है कि जब भी इस ओर से गुजरता हूँ, मेरी जीप यहाँ फँस जाती है! पाँच वर्ष पूर्व भी इसी कीचड़ में फँसने से मेरे पैर में मोच आ गई थी।’’
अपने उजले–उजले कपड़ों को कीचड़ से बचाते हुए विधायक जी सड़क के किनारे आकर खड़े हो गए और जीप को धक्का लगाने के लिए आसपास के व्यक्तियों को बुलवाया। जीप तत्काल कीचड़ से बाहर निकाल ली गई। विधायक जी ने कहा कि इस बार चुनाव जीतने पर यह सड़क जरूर बनवा दूँगा। तभी पसीने से लथपथ एक अधेड व्यक्ति ने तपाक से कह दिया, ‘‘अगली बार आप जीतेंगे, तब न?’’
विधायक के बनावटी चेहरे पर सच्चाई का एक थप्पड़ लगा। वे समझ गए कि फँसी जीप इसलिए निकाली गई है कि जल्दी से जल्दी यहाँ से चले जाएँ।
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