‘‘यस....पुलिस स्टेशन...’’ इंस्पेक्टर वर्मा ने रिसीवर उठाया और उसकी आँखें फोन पर टिक गई।
‘‘......’’
‘‘नहीं सर! यह एक्सीडेंट नहीं, सरेआम कतल का मामला है। उसके ट्रक को जानबूझकर....’’ उसकी आँखें उत्तेजित हो उठीं।
‘‘....’’
‘‘ओह! ठीक है सर! आप कहते हैं तो एक्सीडेंट ही होगा....’’ रिसीवर क्रैडल पर रखते हुए उसकी आँखें बुझ गईं।
अब उसकी आँखें अपने कमरे से बाहर सींखचों के उस पार देख रही थीं। सामने सड़क पर एक ट्रक दनदनाता हुआ बढ़ा जा रहा था।
भय से उसकी आँखें मुँद गईं।
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