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लघुकथाएँ - संचयन - पवित्रा अग्रवाल





लोकतंत्र  



राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्र में सस्ती दरों पर पशु चारे के वितरण समारोह में जिला अधिकारी मुख्य अतिथि बन कर आए थे,भाषण के दौरान उन्होंने कहा-" सरकार राज्य में सूखे की स्थिति से वाकिफ है,आपकी सुविधा के लिए सरकार ने पचास प्रतिशत छूट देकर चारे की व्यवस्था की है, आप लोग उसका लाभ उठाएँ और पिचहत्तर रुपये क्विन्टल के भाव से चारा खरीदें।'
 सुनते ही किसानो में खुसर- पुसर चालू हो गई ।
 एक किसान खड़ा हो कर बोला --"ये कैसा सस्ता चारा है ?...,इससे कम भाव पर तो खुले बाजार में मिल रहा है ।'
 अधिकारी ने कहा--"यह कैसे हो सकता है,सरकार ने डेढ़ सौ रुपये  के हिसाब से खरीदा है और आपको आधी कीमत पर दिया जा रहा है।'
 दूसरे किसान ने कहा—“हम नहीं मानते.... कहीं कुछ घपला जरूर है।”
 फिर एक आवाज आई--"क्या आप बता सकते हैं सरकार ने यह चारा दुगनी कीमत में कहाँ से खरीदा है,क्या इसका बिल दिखा सकते हैं ?'
 सुनते ही अधिकारी अपना आपा खो बैठा और लात घूसे चलाते हुये चिल्लाया--"यू रास्कल ,बास्टर्ड तुम होते कौन हो हम से हिसाब पूछने वाले ?...लेना है तो चुपचाप लो वरना चले जाओ यहाँ से।'

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