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लघुकथाएँ - संचयन - पवित्रा अग्रवाल





पॉल्यूशन चैक  



अभय स्कूटर ले कर घर से बाहर निकला ही था कि ट्रेफिक पुलिस ने रोक लिया--"लाइसेन्स
दिखाइए।'
 उसने जेब से निकाल कर लाइसेन्स दिखाया ।
 " पॉल्यूशन चैक सार्टिफिकेट दिखाइए ।'
 "अभी वही बनवाने जा रहा था ।'
 इंस्पैक्टर के चेहरे पर मुस्कान आ गई --"इसका मतलब सार्टिफिकेट नहीं है ।'
 "है साब पर अभी दो दिन पहले ही एक्सपायर हुआ है,मैं बाहर गया हुआ था... आज ही लौटा हूँ ।'
 "इंस्पैक्टर ने अर्थ भरी मुस्कान से कहा - "ठीक है बनवा लीजिएगा पर अभी तो चालान  कटेगा ही...काट दूँ ?'
 "रहने दीजिए न साब ,भले ही सर्टिफिकेट एक्सपायर हो गया है पर मेरी गाड़ी फिट है आप खुद देख लीजिए... इस से कोई प्रदूषण नहीं फैल रहा है ।'
 तभी वहाँ से काला धुंआ उगलती एक मोटर साइकिल गुजर गई पर इंस्पैक्टर पहले वाले का चालान काटने न काटने के बीच उलझा  था ।

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