समय गुजारने के लिए बेटे ने एक तरीका ढूँढ़ निकाला।वह आते-जाते ट्रकों के पीछे की लिखावटों को पढ़ने लगा ।जरा जोर से ताकि सब सुन लें।कोई रोमांटिक- सी बात होती तो बहू की ओर देखकर और जोर से बोलता । बहू घूँघट कुछ ऊपर उठाती नीचे का ओंठ दाँतों तले दबाती और सबकी नजरें बचाते हुए पति की ओर आँखें तरेरती।पति को पत्नी के चेहरे की यह लिखावट ट्रक की लिखावट से भी ज्यादा रोमांचित कर देती।उसे इंतजार में भी अनोखा आनंद आने लगा।
अभी-अभी मार्बल से लदा एक ट्रक गुजरा था। ओवरलोड। धीमी रफ्तार। दर्द से कराहता हुआ सा। लिखा था, ‘परिवार की लाडली’।बेटे ने कहा, वो देखो परिवार की लाडली जा रही है और बड़े लाड़ से पत्नी को निहारा।
“हुँह,इतना तो बोझा लाद रखा है और परिवार की लाड़ली।” पत्नी ने व्यंग्य किया।
सासूजी सुन रही थी । उन्होंने तिरछी निगाहों से अपने पति व सास की तरफ देखा,फिर बोली, “इतना बोझा लाद रखा है तभी तो परिवार की लाड़ली है।वरना.....।” बहू ने महसूस किया कि सासूजी की आवाज घुट कररह गई है।
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