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लघुकथाएँ - देश - सुनील गीते
टेंशन

दादाजी को दो दिवसीय वृद्ध सम्मेलन में भाग लेने के लिए छोड़कर वह वापस घर आया तो चाची मम्मी से कह रही थी, ‘‘दीदी आज घर में कितनी शान्ति है ना!’’
मम्मी बोली, ‘‘आजादी भी है, कोई टेंशन जो नहीं है। आज आएगा किटी पार्टी का मजा।’’
दो दिन बाद जब वह पुन: दादाजी को लेने पहुंचातो देखा दादाजी कुछ वृद्धजनों के बीच ठहाका मारकर हंस रहे थे। उसे बहुत आश्चर्य हुआ। दादी की मृत्यु के बाद घर में एकदम शान्त रहने वाले दादाजी को पहली बार इतनी उन्मुक्त हंसी हंसते देखा।
अनचाहे, सहसा उसके हाथ प्रार्थना में जुड़ गए।

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