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हवेली के सामने बैठा सरपंच अपने हिमायतियों के संग मामले निपटाने के संबंध में सलाह-मशवरा कर रहा था। उनके समीप ही फौज से छुट्टी पर आया सरपंच का बेटा वर्दी कसे हुए अपनी मित्र-मंडली के बीच बैठकर फौजी किस्से चटखारे ले-लेकर चुना रहा था। तभी गांव लौटा सूबेदार निशान सिंह आंगन में जाने के लिए हवेली के सामने से गुजरा। उसे देखते ही सरपंच के बेटे उठकर जोरदार सैल्यूट मारा। सैल्यूट का उत्तर देकर जब सूबेदार थोड़ा आगे बढ़ गया तो पीछे से किसी ने शब्द-बाण छोड़े-"आजादी तो इन्हें मिली है। देखा सूबेदार का रौब ! सरपंच का बेटा भी सैलूट मारता है।"
"भाऊजी, आदमी को कौन पूछता है? यह तो कंधे पर लगे फीतों की इज्जत है।"
"कोई बात नहीं, सूबेदार को संदेश भेज देते हैं कि अब से वर्दी पहनकर गांव में न आया करें।" सरपंच ने शून्य में घूरते हुए कहा।
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