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व्यवस्था


उस रात वह मेरे सपने में आई और खून जमा देने वाले ठंडे स्वर में मुझे खबरदार करती हुई बोली, "अगर सही मायने में जिन्दगी का लुत्फ उठाना चाहते हो मेरी बेटी अव्यवस्था के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलना। अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो तुम्हें अपनी व्यवस्था कहीं और करनी होगी।"
अगले दिन सुबह उठते ही मैंने वर्तमान व्यवस्था से समझौता कर लिया और दिन -रात तरक्की करने लगा।

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