गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
लघुकथाएँ - देश - विकेश निझावन
फ़र्क
‘‘ऐ रतनी! तू आज फिर अपने इन बच्चों को साथ ले आई। देख तो, सारा कालीन गंदा कर दिया है इन्होंने। समझ में नहीं आता, तुम लोगों को तमीज कब आएगी। आज के समय में इतने बच्चे। जरा काबू रखा करो अपने पर।’’
‘‘बस रहने दे बीजी! एकाएक रतनी बोली, ‘‘कसर तो तुमने भी कोई न छोड़ी। बस फर्क इतना है कि मैंने पैदा कर दिए और तुमने गिरा दिए।’’

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above