गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
न्याय

एक था राजा। एक सुबह उसने देखा, कि ढेर सारे प्रजाजन उसके राजमहल के आगे गुहार कर रहे हैं। राजा यह देख कर आश्चर्यचकित, द्रवित हुआ कि उन लोगों के चेहरे निस्तेज थे, व पैर टेढ़े–मेढ़े अशक्त थे।
राजा ने अपने महामंत्री को तुरन्त बुलवाया और कहा, ‘‘मंत्रिवर, मैं इनकी दशा देखकर बहुत दुखी हूँ। राजकोष से तुरन्त पौष्टिक आहार एवं औषधियों का प्रबंध किया जाए ताकि इनके पैर बलिष्ठ हो सकें, व चेहरे तेजस्वी।’’
मंत्री राजा के कान के पास जा फुसफुसाया, ‘‘दुहाई हो महाराज की, यदि इनके पैर बलिष्ठ हो गए, और शरीर स्वस्थ हो गए, तो यह इतना झुक कर हमें प्रणाम नहीं करेंगे।’’
राजा यह सुनकर अपनी पनेरी मूँछों के बीच मुस्कराया, और उपस्थित प्रजाजनों को नि:शुल्क बैसाखियाँ प्रदान कर दी। राजा की जयजयकार से महल की दीवारे हिल गईं।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above