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तैरते–तैरते एक छोटी मछली एक बड़ी मछली के सम्मुख आ गई। बड़ी मछली ने उसे निगलना चाहा।
छोटी मछली बोली, यह अन्याय है, मैं भी जीना चाहती हूँ। सारी मछलियाँ कानून के सामने समान हैं।
बड़ी मछली हँसी और बोली, मैं बहन कहना नहीं चाहती कि हम समान हैं या नहीं। मैं तुम्हें एक मौका देना चाहती हूं । यदि तुम मुझे निगल सको तो निगल जाओ।
छोटी मछली काफी देर तक बड़ी मछली को अपने मुँह में कौंचने की असफल कोशिश करती रही। और जैसा हर छोटी मछली के साथ शुरू से होता आया है, वह शर्त हार गई।
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