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सुकेश साहनी
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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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कद

‘‘भाईजी! हम आपके साथ वर्षों से जुड़े हैं.....हमारी इच्छा है कि आपका रा्जनीतिक–कद बढ़े ताकि पूरे ग्रुप को इसका फायदा मिल सके!’’
कार्यकर्ता की बात सुनकर वे बोले ‘‘यह कैसे संभव है?’’
‘‘भाई जी! इस बार हमारा रावण दूसरों के रावण से बड़ा होना चाहिए....आप तो जानते ही हैं कि बिना अपनी शक्ति को बताए, आज राजनीति में कोई ऊँचा नहीं उठ सकता।’’ दूसरे कार्यकर्ता ने उन्हें समझाने का प्रयास किया।
वे कुछ देर सोच में डूबे रहे फिर बोले ‘‘कार्यकर्ता के बिना नेता का कोई वजूद नहीं होता। यदि आप सभी की ऐसी इच्छा है, तो इस बार हम पिछली बार की गलती नहीं करेंगे कि जिसने जो दिया, हमने ले लिया.....इस बार जो हम कहेंगे, उन्हें देना पड़ेगा....आप सभी अपने काम के अधिकारियों और व्यापारियों की सूची बनाना शुरू कर दें।’’
उनकी बात सुनकर कार्यकर्ताओं के चेहरे खिल उठे।
इस बार दशहरे पर भाईजी का रावण चर्चा का विषय रहा। उनके कार्यकर्ता, लोगों से कह रहे थे ‘‘भाईजी ने अपने ‘रावण’ के कद को सबसे ऊँचा कर पार्टी को बता दिया कि क्षेत्र में उनका दूसरे नेताओं से अधिक दबदबा है, इसलिए इस बार चुनाव में उनका टिकिट काटा नहीं जा सकता!’’

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