फोटोग्राफर ने कैमरे के बटन पर आहिस्ता से उँगली रखी। सेकेंड से भी कम समय के लिए जिन्दगी में कभी न हँस पाने वाले साठ वर्ष पुराने चेहरे पर मुस्कान की रेखाएँ उभर आईं।
लेकिन, दूसरे ही पल उनका चेहरा पूर्ववत् निस्तेज हो गया।
मृत्यु के बाद जब उनकी आदमकद तस्वीर ‘पटेल एण्ड कम्पनी’ के केबिन में, कुर्सी के पीछेवाली दीवार पर टाँगी गई–तब से आज तक फ़्रेम में जड़े मुस्कराते चेहरे को देखकर आगन्तुक कहते हैं–वे कितने हँसमुख थे!
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