' आज रात घर में माता का जागरण है । जरूर आना । बाबूजी ने संदेसा भिजवाया है । ' नामीगिरामी व्यवसायी आनंद जी का नौकर बुलावा दे गया था । रात उनके घर उनसे मिलने पहुँचा । कमरे के बाहर आती आवाज ने रोक दिया ।
' तुझे पता लग गया था कि तेरे पेट में लड़की है ।तूने न मुझे बताया न इसे गिरवाया’- ' आनंद जी का पारा सातवें आसमान पर था ।
'माता का जागरण करा रहे हो, ऐसे तो न बोलो जी । ' पत्नी ने हाथ जोड़कर विनती की ।
तड़ाक् की आवाज गूँजी - 'चुप रह । मुँह मत चला । सुबह मैया की आरती होते ही डॉ. से टाइम ले लियो । शाम तक किस्सा ख़त्म हो जाना चाहिए’-' पत्नी को आदेश दिया ।
सुनकर मन का कोर - कोर पीड़ित हो गया । जागरण में बैठे बिना ही वापस हो लिया ।
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