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संस्कार

सार्वजनिक नल पर पानी भरने वालों की भीड़ जमा हो गई थी। हंडा भर जाने के बाद बूढ़ी अम्मा से हंडा उठाया नहीं जा रहा था। लोगों का धैर्य बड़बड़ाहट में बदलने लगा। मनकू ने हंडा हटाकर अपनी बाल्टी लगाते हुए बूढ़ी से कहा–‘‘बहू को मेहंदी लगी है क्या, जो तू आ गई?’’
कातर स्वर में बूढ़ी के बोल फ़टे–‘‘उसका पाँव भारी है।’’
मनकू को लगा जैसे किसी ने उस पर घड़ों पानी डाल दिया हो। उसने हंडा उठाया और बूढ़ी अम्मा के द्वार पर रख आया।

 
 
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