गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
लघुकथाएँ - देश - धर्मेन्द्र कुशवाहा
गन्तव्य
नवनिर्मित राजपथ को आगामन के लिए खोल दिया गया था। हाईटेक बसों का बड़ा वातनुकूलित, लेसर पाकर तकनीक से युक्त था। इसका उद्घाटन हाल ही में राज्य परिवहन मंत्री के कर कमलों द्वारा हुआ था। राज्य की गौरवशाली पाम्परा में यात्रियों की सुविधा के लिए एक और इज़ाफा था।
ये विदेश निर्मित गाडि़याँ थीं समान गति से स्टेशन टू स्टेशन तक दौड़ लगाने वाली। नान स्टाप। दूरांतो।
मुझे भी जाना था मित्र से मिलने उनके गाँव जो गन्तव्य के पहले ही पड़ता था। इसी आशा एवं विश्वास के साथ टिकट मँगवा लिया था कि प्रार्थना करने पर कंडक्टर रोक ही देगा जैसा कि अब तक होता आया था। बहुत से कारण होते हैं बसों के रुकने के ,रोक लेने के। सो मैं चल पड़ा।
बस शेल्टर बन गए थे। रेपिड ट्रांजिट कारीडोर का इण्डिकेटर लगा था। कारों और अन्य वाहनों के लिए अलग सड़कें। सड़क के किनारे दोनों ओर पैदल और साइकिलों के रास्ते थे।
इतने में अनाउंसर ने माइक पर बोलना–शुरू किया। सभी से यात्रा की शुभ कामना दी फिर फिल्मी गाने आने लगे। एक घरघराहट के साथ बस चल पड़ी। सभी कुछ लगभग अत्याधुनिक।
राजपथ चौड़ा सपाट–सा विस्तृत था। अगल–बगल डिवाईडर पर कहीं भी पेड़–पौधों का नाम़ोनिशान नहीं था। एक नीरव शून्यता को चीरती बस उड़ी जा रही थी। गति सीमाहीन थी जिसका अन्दाज भीतर बैठ कर नहीं लगाया जा सकता था। लगातार एक स्पीड एक आवाज़। लगता था सबके लिए नया–नया था। बस की घड़ी बराबर समय और स्थान को इंगित कर रही थी। मेरे उद्विग्नता बढ़ती जा रही थी। गन्तव्य नज़दीक आता जा रहा था। इतनी लम्बी दूरी और इतना कम समय।
कंडक्टर निर्विकार भाव में बैठा था। मेरी बड़बड़ाहट अनुनय विनय का उस पर कोई असर नहीं था। लेकिन मैं कब मानने वाला था। बस का ड्राइवर चाहे तो सब कुछ हो सकता है। कन्डक्टर की ऐसी- तैसी।
मैं रेलिंग को पकड़े हुए बोनट की ओर बढ़ा। वहाँ एक आदमी ड्राइवर की सीट पर बैठा था। उसका हाथ स्टेयरिंग पर था। जालीदार केबिबन में बैठी मुस्कराती आकृति से मेरी आशा बढ़ी। मैं उसके और भी नजदीक पहुँच गया ,ताकि बस को रोकने की प्रार्थना कर सकूँ। उसकी आँखें लाल थीं और दायें बायें घूम रही थीं। लेकिन वहाँ ड्राइवर सीट पर एक बैठाई हुई मानवाकृति संवेदनहीन मशीन थी। मैं दहशत भरी स्थिति में अपनी सीट पर लौट आया। रोबोट ही था शायद वह। अब तक पसीने से तर था। नॉन स्टाप बस गन्तव्य के आगे बढ़ चुकी थी। दूरांतो की ओर।
-0-
 
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above