(पुत्र–पिता संवाद)
‘‘यह देखो’’
‘‘क्या है?’’
‘‘रिजल्ट है और क्या’’
‘‘फर्स्ट आये हो क्या?’’
‘‘तुम लगता है कुछ भूल रहे हो, दूसरी कक्षा में अब ग्रेडिंग सिस्टम है, वैसे मैं फर्स्ट ही हूँ।’’
‘‘जब ग्रेडिंग सिस्टम है, तो फिर तुम फर्स्ट हो, यह कैसे माना जा सकता है।’’
‘‘मुझे सभी विषयों में ‘‘ओ’’ मिला है, मतलब आउटस्टेंडिंग। क्लास टीचर बता रही थी, कि सिर्फ़ मुझे सभी विषयों में ‘‘ओ’’ मिला है, चाहो तो क्लास टीचर से या मेरी कक्षा के दूसरे बच्चों से पूछ सकते हो।’’
‘‘तो?’’
‘‘तुम फिर कुछ भूल रहे हो, तुमने कुछ प्रामिस किया था’’
‘‘हाँ मुझे याद है, पर वो जन्मदिन के दिन देना है, आज तो नहीं’’
‘‘ हाँ पर मेरा जन्मदिन सिर्फ़ 15 दिन बाद है, मैं तो सिर्फ़ तुम्हें याद दिला रहा हूँ।’’
(पत्नी पति संवाद)
‘‘मैंने पहले ही कहा था कि बच्चों से उल्टे–सीधे प्रामिस मत किया करो, अब खुद सोचो क्या पाँचवी के फ्लेट में कुत्ता पाला जा सकता है’’
‘‘मुझे विश्वास नहीं कि बच्चा फर्स्ट आ जायेगा’’
‘‘प्रामिस करने के बाद यदि निभाओगे नहीं तो बच्चे के मन में तुम्हारी विश्वासनीयता कम होगी’’
‘‘मैंने तो उसका उत्साह बढ़ाने के लिए उस समय बोल दिया था। मुझे लगा इसी बहाने बच्चा कुछ पढ़ लेगा’’
‘‘तुम्हारा मामला है, तुम्ही निबटो पर इतना तय है कि फ्लेट में मेरे रहते कोई कुत्ता बिल्ली नहीं पाला जा सकता है। वैसे भी दोनों वर्किंग है, उनकी देखभाल संभव नहीं है’’
(पुत्र पिता संवाद)
‘‘तुमने नीचे पार्क में आज कुछ देखा?’’
‘‘नहीं क्या हुआ’’
‘‘नीचे जो कुतिया रहती थी, उसने 7 बच्चे दिए है’’
‘‘7 बच्चे––
‘‘हाँ पूरे 7 बच्चे हैं। सभी अलग–अलग रंग के हैं। पार्क के बच्चों ने अपने–अपने बच्चे चुन भी लिये हैं’’
‘‘तुम्हारा कौन–सा है’’
‘‘जो बच्चा काली चित्तियों का है तथा जिसकी पूँछ काली है, वह मेरा है’’
‘‘मेरा है से क्या मतलब’’
‘‘मतलब उसके खाने–पीने तथा देखभाल की व्यवस्था मुझे करनी है। रोज सुबह स्कूल जाने के पहले तथा शाम को खेलने से पहले मैं उन्हें दूध ब्रेड देने जाया करूँगा, बाकी बच्चे भी यही करने वाले हैं’’
(पिता पुत्र संवाद)
‘‘तुम्हारी माँ फ्लेट में कुत्ता पालने को तैयार नहीं हैं’’
‘‘मुझे पता था, माँ नहीं मानेंगी, पर तुमने प्रामिस किया है तो उसे पूरा करना तुम्हारी जिम्मेदारी है, मैं कुछ नहीं जानता’’
‘‘बात तो सही है, पर मिलकर बीच का रास्ता निकाला जा सकता है’’
‘‘वो कैसे? मैं कुत्ते के बच्चे से कम पर मानने वाला नहीं हूँ’’
‘‘तुम्हें कुत्ता पालने से मतलब है या फ्लेट में रखने से’’
‘‘जब फ्लेट में नहीं रखोगे, तो पालोगे कैसे?’’
‘‘तुमने कहा था कि तुमने पार्क में जिस बच्चे को चुना है वह सबसे प्यारा है’’
‘‘हाँ तो?’’
‘‘तो उसी को पाल लेते हैं’’
‘‘मैं उसे घर उठा लाऊँ?’’
‘‘घर लाओगे तो माँ नाराज होगी’’
‘‘फिर’’
‘‘फिलहाल वहीं रखकर देख–भाल करो, मैं भी देखभाल में तुम्हारी मदद करता रहूँगा’’
‘‘यह कोई बात नहीं हुई’’
‘‘हम तुम मिलकर तुम्हारी माँ को मनाने की कोशिश करेंगे, जब मान जाएगी तब फ्लेट में लेने आना’’
‘‘ठीक है’’
(पति पत्नी संवाद)
‘‘बच्चे ने जिद्द कैसे छोड़ दी’’
‘‘मेरा आइडिया’’
‘‘मतलब?’’
‘‘मतलब कि अब वह पार्क के कुत्तों से ही काम चला लेगा। जब भी हम लोग तुमसे उसे फ्लेट में लाने का अनुराध करें, तुम मना कर देना’’
‘‘पर देशी पिल्ले से बच्चे का अधिक घुलना–मिलना ठीक नहीं, तमाम तरह की बीमारियाँ हो सकती हैे’’
‘‘तुम चिन्ता मत करो, मैं म्यूनिसिपालिटी वालों से 10–15 दिन बाद कुतिया समेत बच्चे हटाने के लिए बोल दूँगा’’
‘‘हाँ यह ठीक रहेगा, तब तक इसका जन्मदिन भी बीत जायेगा’’
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