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लघुकथाएँ - देश - इला प्रसाद
प्रतिद्वन्द्वी
वह उसे देखता और चिढ़ जाता!
वह भी उसे देखती और परेशान हो जाती।
वे दोनों आते-जाते कारीडोर में मिलते और एक-दूसरे से कतरा कर निकल जाते।
उसे समझ नहीं आता था कि वह हर बार उसे इस स्कूल में कैसे मिल जाता है, वह तो हर रोज यहाँ आती नहीं!
उसे यह भी ठीक से पता था कि वह उसे बिल्कुल पसन्द नहीं करता। एक बार सामने से आ रहे उसके बैज पर उसने उसका नाम पढ़ने की कोशिश की थी, तो उसने खट से भाँप लिया और अपना बैज उलट दिया ; लेकिन वह उस पर नजर रखता था। वह अक्सर उसे काउण्टर पर अपने पीछे खड़ा पाती, जब वह अपने पेपर जमा कर रही होती, कुछ पूछ रही होती। तब उसे भी बेहद चिढ़ होती थी उससे।
फ़िर कुछ महीनों बाद एक दिन वे असिस्टेंट प्रिन्सिपल के ऑफ़िस में मिल गए। मिस्टर लोगान ने परिचय कराया- "रूबी सिंह, इनसे मिलिए, ये हैं चार्ल्स पेरेज। अगले सेशन में पूर्णकालिक नौकरी के लिए साक्षात्कार देंगे। समाज विज्ञान से हैं।'
फ़िर वे चार्ल्स से मुखातिब हुए- "चार्ल्स, ये रूबी सिंह हैं। विज्ञान विषय में पूर्णकालिक नौकरी की उम्मीदवार।"
वे एक दूसरे को देखकर मुसकराए। अब दुश्मनी की कोई वजह नहीं थी। वे प्रतिद्वन्द्वी नहीं थे।
 
 
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