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लघुकथाएँ - देश - सुधा ओम ढींगरा
बेख़बर
स्कूल की मार्गदर्शक परामर्शदाता ने किंडर गार्डन के छोटे -छोटे बच्चों को चरित्र निर्माण का ज्ञान देते हुए समझाया कि तुम्हारे गुप्तांगों को कोई हाथ लगाए, तुम्हें डाँटे, तुम्हारे साथ कोई अनुचित हरकत करे जो तुम्हें अच्छी ना लगे या तुम्हें कोई शारीरिक चोट पहुँचाए, चाहे वे माँ -बाप ही क्यों ना हों, तो पुलिस को फ़ोन करो या टीचर से बात करो । छोटे -छोटे बच्चों के दिमाग़ बड़ी-बड़ी बातों से बोझिल हो गए । विचार उलझे बालों से उलझ गए । बाल-बुद्धि ने यह ज्ञान अपने हिसाब से ग्रहण किया । पापा ने कल उसे थप्पड़ मारे थे । उसने टीचर को बता दिया । उसी का परिणाम -घर में हंगामा हो रहा है ।
सामाजिक कार्यकर्त्ता उनका एक -एक कमरा, ख़ास कर बच्चे का कमरा बार -बार देख रही है । ढूँढ रही है कि कहीं कोई ऐसा सुराग मिल जाए ताकि माँ- बाप दोषी साबित हो सकें । उसे परिवार से अलग करने की बात कही जा रही है और माँ दिल पर हाथ रख कर रो रही है । पापा भरी -भरी आँखों से अपनी बात स्पष्ट करने की कोशिश कर रहें हैं । कार्यकर्त्ता की बातें सुन बच्चा रुआँसा हो गया है । वह एक तरफ डरा- सहमा दुबका बैठा सोच रहा है कि शिकायत करने के बाद उसे माँ- बाप से अलग कर पोषक- गृह में भेज दिया जायेगा । ऐसा तो गाइडेंस कौंसलर ने नहीं बताया था । बाल -बुद्धि और उलझ गई । माँ -बाप से अलग होना पड़ेगा, सुनकर वह बेचैन हो गया । टीचर पर बहुत गुस्सा आया, मैडम ने और लोगों को क्यों बता दिया ? उसके माँ -बाप तो बहुत अच्छे हैं । उसे बहुत प्यार करते हैं । वह उन्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा । वह कई दिनों से होमवर्क नहीं कर रहा था, तभी तो पापा ने गुस्से में एक थप्पड़ मारा था, उसने झूट बोला था कि पापा ने कई थप्पड़ मारे थे और पापा रोज़ मारते हैं । वह तो चाहता था कि टीचर उसके पापा को डाँटे और पापा उसे होमवर्क के लिए न कहें ।
माँ रोते -रोते बेहोश होने लगी । समाज सेविका पानी लेने दौड़ी । बच्चे को लगा कि उसकी माँ मर रही है । वह उसके बिना कैसे रहेगा ? वह रात को कैसे सोएगा । उसकी माँ उसे हर बात पर चूमती है ..कहानियाँ सुनाती है । पापा उसे ढेरों खिलौने ले कर देते हैं । उसके साथ फिशिंग, बॉलिंग, साइक्लिंग के लिए जाते हैं ।
वह ज़ोर -ज़ोर से रीता हुआ चिल्लाने लगा-- '' मेरे मम्मी -पापा को छोड़ दें । मैंने टीचर से झूठ बोला था । मेरे पापा ने मुझे थप्पड़ नहीं मारे थे ।" कहकर वह भाग कर माँ से लिपट गया ।
समाज सेविका बच्चे का रोना देख पसीज गई । उसके अपने बच्चे उसकी आँखों के सामने घूम गए ।
''बच्चे इस उम्र में परिणाम से बेख़बर अनजाने में कई बार झूठ बोल देते हैं - " खुली फाइल को बंद करते हुए वह यह कह कर घर से बाहर निकल गई।
 
 
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