मधु शर्मा पिछले कई दिनों से बहुत परेशानी में थी - इन दिनों उनकी अस्सी वर्षीया सास बहुत बीमार थीं । अब स्वयं उठने-बैठने में असमर्थ थी । हर समय एक सहायक की उपस्थिति आवश्यक हो गयी । वह नौकरी करती थी और बच्चे स्कूल और कॉलेज में पढ़ रहे थे । पति अधिकतर दौरे पर होते। पहले सास ही घर सँभालती थी । पर अब ?कई आया आईं और गयी । मधु ने सभी से कोई अच्छी काम वाली या आया ढूँढने को कह दियाथा ।
इस बार उसके एक डाक्टर मित्र ने एक आया भेजी । काम के बारे में बताने के लिए मधु ने आज अवकाश लिया था । अब साक्षात्कार शुरू हुआ। पम्मी नाम की एक महिला आई । उसने माताजी के साथ रहना स्वीकार किया पर शर्तें ये थी कि सुबह सात बजे वह आएगी अगर बस समय पर मिले, थोडा इधर-उधर होगा ;लेकिन जाने का वक्त पाँच बजे पक्का । आने पर चाय नाश्ता ,लंच ले लिए एक घंटे का अवकाश। अगर लंच मिले तो अवकाश दस मिनट का। शाम की चाय । महीने में दो दिन की छुट्टी। त्योहारों की अलग,बख्शीश के साथ । माता जी के काम के अलावा अन्य कुछ नहीं । दिन भर टी- वी - देखा करेगी । अतः टी- वी- माता जी के कमरे में हो । अगर माता जी बिस्तर पर ही हैं तो उनकी अन्य गन्दगी की सफाई के लिए एक सफाई करने वाली की मदद। पम्मी की सूची लम्बी होती जा रही थी । तनख्वाह के साथ रोज बस या स्कूटर का भाड़ा भी । मधु ने सब सुनकर उसे तीसरे दिन सूचित करने की बात कर लौटा दिया। उसे लग रहा था कि यह रुकेगी नहीं । अब किसी और को भी ढूँढना होगा।
अगले दिन मधु यही सब सोचती हुई स्कूल में पहुँची । उसका आने वाला समय भी तो ऐसा ही हो सकता है , जैसा आज उसकी सासू माँ का है । वह एक पल को सिहर उठी । उसकी बेचैनी और उदासी बढ़ती गई ।कक्षा में पढ़ाते समय भी उसका मन आने वाले समय की कल्पना करके व्याकुल हो उठा । उसके मस्तिष्क में एक झंकार- सी हुई। कक्षा के तुरंत बाद वह प्रधानाध्यापिका के पास अपना इस्तीफ़ा दे आई ।
आया की इतनी शर्तें मान उसकी सेवा करने से तो माँ की सेवा करना अच्छा है ।अगले दिन जब वह तैयार नहीं हुई तो बच्चों के पूछने पर कि माँ काम वाली आएगी या नहीं ?
उसने कहा -“ नहीं , काम वाली नहीं आएगी , पर अब चिंता की कोई बात नहीं ।माँ जी की सेवा ठीक प्रकार से होती रहेगी । अब मैंने नौकरी छोड़ दी है।”
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