गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
लघुकथाएँ - देश - राधेश्याम भारतीय
मुआवजा

गाँव में आँधी और ओला–वृष्टि के कारण नष्ट हुई फसल के बदले मुआवजा राषि बॉटने एक अधिकारी आया।
बारी बारी से किसान आ रहे थे और अपनी मुआवजा राषि लेते जा रहे थे।
जब सारी राषि बंट चुकी तो रामधन खड़ा हुआ और हाथ जोड़कर कहने लगा, ‘‘ साब जी, हमें भी कुछ मुआवजा दे दीजिए!’’
‘‘क्या तुम्हारी भी फसल नष्ट हुई है?’’
‘‘नहीं साब जी! हमारे पास तो जमीन ही नहीं है।’’
‘‘..तो तम्हें मुआवजा किस बात का?’’ अधिकारी ने सहज भाव से कहा।
‘‘ साबजी, किसान की फसल होती थी.....हम गरीब उसे काटते थे और साल भर भूखे पेट का इलाज हो जाता था.अब फसल तबाह हो गई तो बताइए हम क्या काटेंगे....और काटेंगे नहीं तो खाएँगे क्या?’’
‘‘ तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा...जाइए अपने घर ।’’ इस बार अधिकारी कुछ क्रोधित स्वर में बोला।
रामधन माथा पकडे़ वहीं बैठा रहा।
-0-

 
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above