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लघुकथाएँ - देश -प्रभात दुबे
भयभीत

शहर में बनारस के प्रसिद्ध विद्वान् ज्योतिषी का आगमन हुआ । यह सर्व विदित था कि उनकी वाणी में सरस्वती विराजमान है । वे जो भी बताते है वह सौ प्रतिशत सत्य होता है ।
ज्योतिषी के हाथों में पाँच सौ एक रुपये देते हुए शर्मा जी ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा –‘‘ महाराज, मैं केवल इतना जानना चाहता हॅू कि मेरी मृत्यु कब, कहॉ और किन परिस्थितियों में होगी । ’’
ज्योतिषी ने पन्द्रह मिनट तक शर्मा जी की हस्त–रेखाऐं देखीं, दस मिनट तक चेहरे और माथे को अपलक निहारते रहे । फिर स्लेट पर कुछ अंक लिख कर जोड़ते–घटाते रहे । बहुत देर बाद वे गंभीर स्वर में बोले –‘‘ शर्मा जी, आपकी भाग्य रेखाएँ कहती है कि जितनी आयु आपके पिता को प्राप्त होगी उतनी ही आयु आप भी पाएँगे । जिन परिस्थितियों में और जहाँ आपके पिता की मृत्यु होगी, उसी स्थान पर ओर उसी तरह, आपकी भी मृत्यु होगी ।
यह सुन कर शर्मा जी भयभीत हो उठे और एक घण्टे बाद वे वृद्धाश्रम से अपने वृद्धा पिता को साथ लेकर घर लौट रहे थे ।
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