गतिविधियाँ
 
 
   
     
 
  सम्पर्क  
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
rdkamboj@gmail.com
 
 
 
लघुकथाएँ - देश -डॉ. अनुराग आर्य
इमोशनल ईडियट

आत्मा भी साली टाइम नहीं देखती। कहीं भी खड़ी हो जाती है... ‘‘इमोशनल ईडियट’’! है ना... वे मेरे कन्धों पे हाथ रखकर कहते है.... तब गरीबी लिमिटिड थी... दस बीस गुनाहो. पे एक परोपकार एडजस्ट हो जाता था... अब ज़माना बदल गया है... इस कम्पीटीशन के जमाने मे. सर्वाइवल...यू नो ‘‘डार्विन’’!!!... साँस लेकर वाक्य अधूरा छोड़ते क्यूनो ग्लास मे. आइस की दो क्यूब डालते हैं...उनके बही खाते मे. कई परोपकार जमा है... वे समाज के बड़े खंभे हैं... और बूढ़े भी... प्रैक्टिस मे. 25 साल से है.... एक ही साँस मे. वे सारी गटक जाते है.... पार्किंग तक जाते जाते वे मुड़ते है..... और पूछते है.. तुम कौन से महीने की पैदाइश हो? मार्च...ये रियन...फिर कुछ बुदबुदाते हुए निकल जाते है.....
रात के साढे़ ग्यारह बजे है...मै. गाड़ी मे. घुसता हुआ टाइम देखता हूँ...टाइम... सारा खेल कुछ सेकण्ड का ही है... आप दस बजकर 20 मिनट ओर 25 सेकण्ड पे पैदा हुए है....यदि सत्ताइसवें सेकण्ड पे होते तो शायद किसी सरकारी अस्पताल के गलियारे मे. सीधे निकलते... या बाइसवें पे होते तो शायद खरबपति मित्तल के दामाद...कुल मिलाकर आपका
योगदान सिफर है...इस जगह पे रहने का...लक बाय चांस …!
मोबाइल का अलार्म जोर से सुबह की आमद की घोषणा करता है… तो याद करने की कोशिश करता हूँ कि वक्त की फिलॉसफी का सपना था...? या कल रात इसकी भी कोई बात हुई है!
दोपहर एक बजे... बिजली अपनी मुँह दिखाई की रस्म अदायमी करने आई है...मै. बराबर वाले डॉ. आहूजा के पास हूँ...नजदीक के गाँव से ईट भट्टे पे काम करने वाला एक मज़दूर परिवार अपने सवा साल के बच्चे को लेकर आया है... जो तीन दिन से चिड़चिड़ा है खा नही. रहा... सो नही. रहा है... बुखार नही. है... डॉ आहूजा एक्ज़ामिन करते हैं... बच्चा अब भी चिड़चिड़ा है. कुछ उनींदा सा...वे उसे नज़दीक के अस्पताल की नर्सरी में एडमिट करने की सलाह देते है....उनका मोबाइल बजा है...कोई ‘‘डिलिवरी कॉल’’ है...वे निकलते है... वापसी में वे सीधे हॉस्पिटल जाएँगे...
रात पौने नौ बजे...क्लीनिक से बाहर निकलता हूँ...डॉ. आहूजा खड़े है....क्या था उसे? मै. उस बच्चे के बारे में पूछता हूँ.. कुछ डाइग्नोसिस बना? वे मुस्कराते हैं....बताते हैं कॉल से नर्सरी में लौटा तो बच्चा सो रहा था...आराम से...
फिर??? मै. पूछता हूँ... फिर क्या धूप ओर गर्मी से बेहाल था… बस नर्सरी का ए सी चाहिए था उसे !
–0–

 
 
Developed & Designed :- HANS INDIA
Best view in Internet explorer V.5 and above