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लघुकथाएँ - देश -विकेश निझावन
धरोहर

सावित्री के जब सातवीं सन्तान भी लड़की हो गई तो अस्पताल की डाक्टर व नर्से सभी घबरा गयीं।सावित्री का घरवाला तो अस्पताल में ही एलान कर गया था कि अगर अब के भी लड़की हो गई तो वह उसका गला दबा देगा।
स्टाफनर्स रमा ने गुप्तरूप से डाक्टर से बात की और बच्ची को मृत घोषित करवा कर अपने घर ले गई।घर पहुंच कर वह बच्ची को बड़ी भाभी के सुपुर्द करती हुई बोली, भाभी, तुम बच्ची को तरसती थीं न, आज भगवान ने तुम्हारे लिए देवी भेजी है।
सच! भाभी ने बच्ची को गोद में ले लिया, हाय! कितनी प्यारी है।
पूछोगी नहीं भाभी कि यह कौन है?
जब तुमने खुद ही कह दिया कि परमात्मा ने मेरे लिए भेजी है, फिर मैं क्यों पूछूँगी। ममता की मारी भाभी बच्ची को चूमनेचाटने लगी थी।ज़रा देर बाद बच्ची रोने लगी तो भाभी ने उसे अपने स्तनों से लगा लिया।
बच्ची चुप हो गई तो रमा बोली, भाभी, तुम तो इसे ऐसे सटाए बैठी हो जैसे सच में दूध आ रहा है।
हाँ, आ रहा है री!
क्या! रमा चौंक पड़ी थी।संदेहात्मक दृष्टि से उसने भाभी की ओर देखा तो भाभी बोल उठी,दूध माँ के जिस्म की धरोहर नहीं है री।दूध तो ममता की धरोहर होता है।
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