नगर -सम्पर्क अभियान में लगे अधिकारी और कर्मचारी मौहल्लों और बाजारों की वह गलियाँ नाप रहे थे;जिनमें घुसना भी उन्हें पसन्द नहीं था। शिक्षक मुरारीलाल भी गली मौहल्लों में नलियों की सफाई, बिजली,पानी,और खरंजे को लेकर निवासियों की शिकायतें सुन–सुन कर थक चुके थे, लेकिन फिर भी यह सोचकर मन मसोस लेते कि चलो एक हफ्ते की तो बात ही है। पीपल वाली गली में एक वी.आई.पी. के मकान के सामने चमचमाता हुआ नया हैण्ड पम्प लगा देख धूप से बेहाल मास्टर मुरारी लाल को एकाएक गला तर करने अकुलाहट होने लगी और हाथ का झोला किनारे रख हैण्ड पम्प के हत्थे पर जोर आजमाइश करने लगे। एक...दो....चार, आठ....दस बार मुरारीलाल ने हैण्ड पम्प चलाया, पर पानी की एक बूँद भी नहीं टपकी। इलाके का रिकॉर्ड साथ में था ही, तत्काल झोले से रजिस्टर निकाल कर वार्ड नम्बर, गली नम्बर और हैण्ड पम्प नम्बर चैक किया। पता चला, जल प्रदाय विभाग द्वारा डेढ़ सौ फुट बोरिंग करके नया हैण्ड पम्प लगाया गया था और रिकॉर्ड के अनुसार यह चालू हालत में था। पसोपेश में पड़े मुरारी लाल ने माथे का पसीना कन्धे पर पड़े गमछे से पौंछते हुए सोचा- शायद मेहनत में कुछ कमी रही होगी और फिर हैण्ड पम्प के हत्थे से जोर आजामाइश शुरू कर दी। इस बार अपनी उम्र के लिहाज से कुछ ज्यादा ही जोर लगाया, लेकिन पानी की एक बूँद भी नहीं टपकी। हार कर मुरारी लाल ने झोले में से रजिस्टर निकाला और हैण्ड पम्प नम्बर 42/6 के सामने लाल स्याही से लिख दिया ‘बन्द’ है। सुनसान दोपहरी में हैण्ड पम्प की खड़–खड़ ने इलाके की निस्तब्धता भंग कर दी थी। तभी उस घर का दरवाजा खुला और एक जनाना आवाज़ ने पुकार लगाई, ‘‘अरे मास्साब काय हैण्ड पम्प से कुश्ती लड़ रये हौ,पानी पीनो है तो इतै आ जाओ’’। श्रम से भड़की प्यास से बेचैन मास्टर मुरारीलाल को देखकर महिला घर के आँगन में निकल पड़ी। जी भर के पानी पीने के बाद मुरारीलाल ने महिला से पूछा, ‘‘कमाल है बाई, दीवार के उस पार हैण्ड पम्प की डेढ़ सौ फुट बोरिंग से एक बूँद पानी नहीं आ रहा और यहाँ इस पार आपकी मोटर क्या शानदार पानी दे रही है?’’ महिला ने घूँघट ठीक करते हुए मास्टर मुरारीलाल को समझाने की कोशिश की, ‘‘मास्साब बोरिंग तो बई वाली है, मशीन जा पार लगी है न तो हैण्ड पम्प में पानी कैसे आयेगो?’’ बोरिंग का ठंडा पानी पीकर तरोताजा हुए मास्टर मुरारीलाल को हैण्ड पम्प के साथ अपनी निरर्थक जोर आजमाइश का कारण समझ में आ गया, उन्होंने तुरन्त झोले से रजिस्टर निकाला, पन्ना पलटा और पीपल वाली गली में उस घर के सामने लगे हैण्ड पम्प नम्बर 42/6 के सामने हरी स्याही से बड़े अक्षरों में लिख दिया हैण्ड पम्प चालू है।
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