दो साल पहले कैलिफोर्निया से जब अविनाश आया था तो एक लैपटॉप और वेब कैमरा भी लाया । कहने लगा -‘’पापा अब आप लोग सीधे मुझे देख सकोगे और बात कर सकोगे’।’
‘’ वह तो ठीक है पर यह चलेगा कैसे?’’- खाँसते हुए ज्ञान प्रकाश ने पूछा ।
उसके जाने के बाद ज्ञान प्रकाश को लैपटॉप के विषय में बताते हुए मैं सोचता हूँ कि क्या वेब कैमरा उनके गठिया भरे घुटनों को दिखा पायेगा ? मैंने उनका ईमेल एकाउन्ट बना दिया था और एक बार अविनाश से बात भी करवा दी । उन्हे लैपटॉप चलाना सीखने में कोई रुचि नहीं थी । मैं ही जाकर उनकी तरफ़ से ,जो वह कहते ईमेल भेज देता और अविनाश का जो जवाब आता वह उन्हे पढ़कर सुना देता था । कुछ दिन पहले उन्होने लिखवाया था कि घुटनों में दर्द ज़्यादा है । आज जवाब आया है कि मैं टिकट भेज दूँगा, आप लोग यहाँ आ जाओ तो हम लोग पूरा अमेरिका घूमेंगे । उन्होने कहा कि लिख दो कि मैं अपने ही वतन में मरना चाहता हूँ। उनकी पीड़ा समझ मैंने टिकट भेजने को मना करते हुए जितना हो सकता था ,उतने सधे शब्दों उनकी अनिच्छा भी बतायी । पन्द्रह दिन बाद उसका जवाब आया जिसमें दो शब्द लिखे थे ‘‘टेक केयर‘‘ ।
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