पुरोहित के निर्देश पर मुझे हवन–सामग्री के साथ पचास रुपए के पाँच सेब और पन्द्रह रुपए के छ: केले भी खरीदने पड़े। हवन के बाद वापस जाते समय पुरोहित ने चार सेब और पाँच केले अपने थैले में डाल लिए। एक सेब और केला मुझे देकर कहा–‘‘यह बन्दरों का भाग है। उन्हें खिला देना।’’
मैंने छत पर जाकर दोनों फल दूर बैठे बन्दरों के सामने उछाल दिए।
‘‘अरे!’’ पीछे से मेरे पाँच वर्षीय बेटे का स्वर उभरा। वह तरल आँखों से कभी मुझे, कभी फल खाते बन्दरों को देख रहा था।
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