मास्टर जी ने स्टाफ रूम में बैठकर सिगरेट पी और घंटी लगने पर कक्षा में चले गए। पाठ का विषय था धूम्रपान। मास्टर जी ‘लेखक के अनुसार’ ‘लेखक का मत है’ आदि उपवाक्यों का सहारा लेकर पाठ पढ़ाते रहे।
वहाँ बैठे एक विद्यार्थी ने दूसरे से कहा, ‘‘यार आज पाठ जम नहीं रहा है। आज मास्टर जी को न जाने क्या हो गया है। वे मन से पढ़ा नहीं रहे हैं।’’ इस पर दूसरे ने कहा, ‘‘चुप बे, तू जानता नहीं, वे खुद सिगरेट पीते हैं।’’
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