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लघुकथाएँ - देश - किशोर श्रीवास्तव
उम्र–उम्र की बात

उस बुढ़िया और सोलह वर्षीया कन्या ने एक साथ भरी हुई बस में प्रवेश किया।
बस के अन्दर पहुँच कर बुढ़िया समझ नहीं पा रही थी कि कहाँ बैठे और कन्या यह नहीं समझ पा रही थी कि वह कहाँ–कहाँ बैठे।
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