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लघुकथाएँ - देश - डॉ पूरन सिंह
माँ

मेरे घर के सामने स्त्री-पुरुष के लड़ने की तेज-तेज आवाजें आ रही थीं। मैंने दरवाजा खोला तो देखा एक सुंदर सी स्त्री जिसकी गोद में एक दूध पीती बच्ची भी थी अपने पति से लड़ रही थी और पति भी कम नहीं पड़ रहा था। पति अपनी पत्नी को जो भी गाली देता तो बदले में ठीक वैसी ही गाली पत्नी भी उसे दे रही थी। मुझे देखकर पति का गुस्सा तेज हो गया तो उसने अपनी पत्नी पर हाथ उठा दिया। पत्नी ने भी अपने पति को थप्पड़ जड़ दिए। मैंने देखा कोई किसी से बिल्कुल भी कम नहीं पड़ रहा था। उसका पति दो मिनट तक शांत रहा फिर न जाने उसे क्या हुआ कि उसने अपनी पत्नी की गोद से दूध पी रही मासूम सी बच्ची को छीन लिया था और उस बच्ची को लेकर अपने घर की ओर यह कहते हुए चल दिया था, ‘देखता हूँ अब कैसे नहीं घर चलेगी’।थोड़ी देर पहले शेरनी बनी पत्नी अब भीगी बिल्ली की तरह अपने आदमी के पीछे-पीछे चली जा रही थी मानो कोई बिन डोर के ही खिंचा चला जा रहा हो।
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