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लघुकथाएँ - देश - उर्मिल कुमार थपलियाल
गाँधीगीरी

मंटो मियां बोले -‘‘बरखुरदार! हमारे टाइम में भी गाँधीगीरी हुआ करती थी। इस पर उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि एक दफ़ा तीन दहशतग़र्द रात को दरवाजा तोड़कर एक घर में घुस गए। अंदर एक अधेड़ मर्द, उसकी बीवी और बूढ़ा बाप था। दहशतग़र्दों ने तीनों पर बंदूकें तान दीं। तीनों ज़रा भी डरे सहमे नही। उन्होंने गाँधीगीरी दिखा कर दहशतग़र्दों को गुलाब के फूल भेंट किए।’’
मैं-‘‘फिर क्या हुआ।’’
मंटो-‘‘दहशतग़र्दों ने तीनों को गोली मार दी और उनकी लाशों पर गुलाब के फूल रख कर चल दिए।’’
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