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लघुकथाएँ - देश - कमल कपूर
बेटी नहीं बहू
मुग्धा के मीठे स्वभाव पर मुग्ध होकर तथा उसके गुणों पर रीझ कर अक्सर सास कहती–‘‘तुम मुझे हर जन्म में बहू के रूप में मिलो बेटी।’’
मुग्धा को यह बात परेशान करती थी कि अम्माजी उसे बहू के रूप में क्यों पाना चाहती है, बेटी के रूप में क्यों नहीं? बेटी तो माँ के दिल के ज्यादा करीब होती है। आखिर उसने एक दिन पूछ ही लिया–‘‘अम्माजी मैं तो आपकी बेटी बनकर आना चाहती हूँ हर जन्म में पर आप बहू के रूप में पाना चाहती है मुझे। ऐसा क्यों?’’
‘‘बेटी तो होश सँभालते ही बिदा होकर दूसर घर चली जाती है और बहू सदा के लिए साथ निभाती है....इसी घर में रहती है, इसीलिए समझ गई मेरी बावरी बच्ची?’’ मम्मी जी लाड़ से बोली।

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